नई योजनाओं का आगाज:
देश में मत्स्य पालन से लाखों लोगों की आजीविका जुड़ी है और यह क्षेत्र तेजी से प्रगति कर रहा है। इस दिशा में केंद्रीय मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी मंत्रालय 21 नवंबर 2024 को विश्व मत्स्य पालन दिवस मनाने जा रहा है। इस वर्ष का थीम है, “भारत का नीला परिवर्तन: लघु-स्तरीय और टिकाऊ मत्स्य पालन को मजबूत करना”। इस मौके पर कई नई पहलों का शुभारंभ होगा:
- 5वीं समुद्री मत्स्य जनगणना: डेटा-संचालित नीति निर्माण के लिए।
- शार्क पर राष्ट्रीय कार्य योजना: स्थायी प्रबंधन के लिए।
- अवैध, अनियमित और अप्रतिबंधित मछली पकड़ने पर रोक।
- बंगाल की खाड़ी-क्षेत्रीय कार्य योजना (BOB-RPOA)।
अन्य पहलें:
- समुद्री प्लास्टिक कचरे से निपटने के लिए IMO-FAO ग्लोलिटर प्रोजेक्ट।
- ऊर्जा-कुशल और कम लागत वाले मछली पकड़ने के ईंधन के लिए रेट्रोफिटेड एलपीजी किट की मानक संचालन प्रक्रिया।
- तटीय जलीय कृषि प्राधिकरण के लिए नई सिंगल विंडो सिस्टम (NSWS), जो तटीय जलीय कृषि फार्मों के ऑनलाइन पंजीकरण को आसान बनाएगी।
सम्मान और योगदान:
कार्यक्रम में प्रगतिशील राज्यों, केंद्र शासित प्रदेशों, व्यक्तियों और उद्यमियों को भारतीय मत्स्य पालन और जलीय कृषि क्षेत्र में उनके योगदान के लिए सम्मानित किया जाएगा। केंद्रीय मंत्री राजीव रंजन सिंह और अन्य वरिष्ठ अधिकारी इस अवसर पर उपस्थित रहेंगे।
मत्स्य पालन क्षेत्र की प्रगति:
सरकार की कोशिशों से देश में मछली उत्पादन 2013-14 के 95.79 लाख टन से बढ़कर 2022-23 में 175.45 लाख टन हो गया है, और यह 9% की वार्षिक दर से बढ़ रहा है। छोटे पैमाने पर मत्स्य पालन खाद्य सुरक्षा, आय सृजन, और गरीबी उन्मूलन में अहम भूमिका निभा रहा है।
सरकार का निवेश:
2015 से भारत सरकार ने नीली क्रांति योजना, एफआईडीएफ, प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना (PMMSY) और प्रधानमंत्री मत्स्य किसान समृद्धि सह-योजना (PM-MKSSY) के माध्यम से 38,572 करोड़ रुपये का निवेश किया है।
वैश्विक परिप्रेक्ष्य में भारत:
मत्स्य पालन और जलीय कृषि वैश्विक खाद्य और पोषण सुरक्षा का अभिन्न हिस्सा है। 2022 में वैश्विक मछली उत्पादन 223.2 मिलियन टन तक पहुंच गया। भारत, दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा मछली उत्पादक देश है, और वैश्विक उत्पादन में इसकी हिस्सेदारी 8% है।