यूनिसेफ की रिपोर्ट ‘द स्टेट ऑफ द वर्ल्ड्स चिल्ड्रन 2024’ में यह चेतावनी दी गई है कि जलवायु परिवर्तन और बदलती तकनीक बच्चों के लिए भविष्य में गंभीर चुनौतियां पैदा करेंगी। रिपोर्ट के अनुसार, वर्ष 2050 तक दुनिया में बच्चों की आबादी लगभग 2.3 बिलियन (230 करोड़) होगी। इसमें से एक-तिहाई से अधिक बच्चे भारत, चीन, नाइजीरिया और पाकिस्तान में होंगे।
बच्चों पर जलवायु परिवर्तन का खतरा
रिपोर्ट में कहा गया है कि लगभग 100 करोड़ बच्चे पहले से ही जलवायु संबंधी खतरों वाले क्षेत्रों में रहते हैं। अगर तत्काल कदम नहीं उठाए गए, तो यह संख्या और बढ़ सकती है। जलवायु परिवर्तन के कारण अत्यधिक गर्मी, बाढ़, जंगल की आग और चक्रवात जैसी घटनाओं में आठ गुना वृद्धि होने की आशंका है, जिससे बच्चों की शिक्षा, स्वास्थ्य और शुद्ध पेयजल जैसी मूलभूत जरूरतों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा।
विशेषज्ञों का कहना है कि ग्रामीण और कम आय वाले समुदायों के बच्चे जलवायु संकट के प्रति सबसे अधिक संवेदनशील हैं। भारत का रैंक ‘चाइल्ड क्लाइमेट रिस्क इंडेक्स (CCRI)’ में 2021 में 26वां स्थान था।
बदलती तकनीक और बच्चों की चुनौतियां
नयी तकनीक जैसे आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI), ऐप्स, वर्चुअल असिस्टेंट और लर्निंग सॉफ़्टवेयर ने बच्चों के लिए रचनात्मकता की नई दुनिया खोल दी है। हालांकि, यह तकनीक उनके लिए अवसरों के साथ-साथ जोखिम भी लाती है।
- डिजिटल विभाजन: उच्च आय वाले देशों में 95% से अधिक लोग इंटरनेट से जुड़े हैं, जबकि कम आय वाले देशों में यह आंकड़ा मात्र 26% है।
भारत के लिए भविष्य की चुनौतियां
रिपोर्ट के अनुसार, 2050 तक वैश्विक बाल आबादी का 15% हिस्सा भारत में होगा।
भारत को बच्चों की पूरी क्षमता को विकसित करने के लिए दीर्घकालिक योजनाएं बनानी होंगी।
- स्वास्थ्य, शिक्षा और कौशल विकास: इन क्षेत्रों में बच्चों के लिए निवेश बढ़ाना होगा।
- डिजिटल खाई को पाटना: हर बच्चे तक प्रौद्योगिकी की समान पहुंच सुनिश्चित करनी होगी।
- टिकाऊ शहरी बुनियादी ढांचा: शहरीकरण के बढ़ते स्तर को ध्यान में रखते हुए बच्चों के अनुकूल निवेश करना होगा।
क्या कहते हैं विशेषज्ञ?
यूनिसेफ की भारत प्रतिनिधि सिंथिया मैकैफे का कहना है कि हमें यह सुनिश्चित करना होगा कि बेहतर होती दुनिया में हर बच्चा अपने अधिकारों को सुरक्षित कर सके। जलवायु परिवर्तन को एक बाल अधिकार संकट बताते हुए विशेषज्ञों ने कहा कि यह स्वास्थ्य, शिक्षा और समग्र कल्याण को प्रभावित करता है।
निष्कर्ष
यूनिसेफ की रिपोर्ट साफ करती है कि आने वाले समय में लिए गए फैसले बच्चों को विरासत में मिली दुनिया को आकार देंगे। इसलिए यह हमारी जिम्मेदारी है कि सभी बच्चों के लिए एक समृद्ध, सुरक्षित और टिकाऊ भविष्य का निर्माण किया जाए।