बथानी कांड और सियासी परिवार का पतन
बिहार के बथानी कांड ने एक सियासी परिवार को पूरी तरह बर्बाद कर दिया। गया जिले के अतरी विधानसभा क्षेत्र के विधायक रहे राजेंद्र यादव और उनके परिवार का नाम विवादों में लगातार बना रहा। इस हत्याकांड में पूर्व विधायक कुंती देवी और उनके पति राजेंद्र यादव जेल की सलाखों के पीछे पहुंच गए। कुंती देवी की कुछ महीने पहले जेल में ही मौत हो गई, जबकि उनके पति और बेटों में से कुछ आज भी जेल में बंद हैं।
11 साल बाद गिरफ्तार हुआ फरार आरोपी विवेक यादव
अतरी से आरजेडी विधायक रंजीत यादव के छोटे भाई विवेक यादव को 11 साल बाद एसटीएफ ने खिजरसराय से गिरफ्तार किया। जदयू नेता सुमरिक यादव की हत्या के मामले में विवेक फरार था।
- हत्या 26 फरवरी 2013 को बथानी थाना क्षेत्र में हुई थी, जहां सुमरिक यादव की बेरहमी से पिटाई कर हत्या कर दी गई थी।
- हत्याकांड के अगले दिन विवेक के ठिकाने से बड़ी मात्रा में हथियार और कारतूस बरामद हुए थे।
- विवेक की गिरफ्तारी के लिए पुलिस ने कुर्की-जब्ती की कार्रवाई की और उस पर ₹50,000 का इनाम घोषित किया था।
90 के दशक से विवादों में घिरा परिवार
राजेंद्र यादव और उनका परिवार 90 के दशक से विवादों में रहा है।
- राजेंद्र यादव 1995 में पहली बार अतरी से विधायक बने।
- 2000 में जब उन्होंने दूसरी बार जीत दर्ज की, तो जीत के जश्न में एक बच्ची की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी।
- इस घटना में राजेंद्र यादव पर केस दर्ज हुआ, जिसकी मॉनीटरिंग उस समय के आईजी अभयानंद ने की थी।
जदयू नेता हत्याकांड में उलझा परिवार
2005 में राजेंद्र यादव की पत्नी कुंती देवी अतरी से विधायक बनीं।
- 2010 में चुनाव हारने के बाद जदयू नेता सुमरिक यादव की हत्या हुई, जिसमें कुंती देवी, उनके बेटे रंजीत यादव, और अन्य पर केस दर्ज हुआ।
- कुंती देवी 2015 में फिर विधायक बनीं। 2020 में उनके बेटे रंजीत यादव विधायक चुने गए।
मां की जेल में मौत, पिता और भाई सलाखों के पीछे
जदयू नेता सुमरिक यादव की हत्या में कुंती देवी को गिरफ्तार किया गया था। जेल में रहते हुए गंभीर बीमारी के कारण उनकी मौत हो गई।
- पूर्व विधायक राजेंद्र यादव आज भी भागलपुर जेल में बंद हैं और कई मामलों में आरोपी हैं।
- अब विधायक रंजीत यादव के छोटे भाई विवेक यादव की गिरफ्तारी के बाद परिवार का नाम फिर विवादों में आ गया है।
परिवार का राजनीतिक और कानूनी संकट
राजेंद्र यादव का परिवार लगातार विवादों और कानूनी मामलों में फंसा रहा है। अब तक परिवार के कई सदस्य सलाखों के पीछे पहुंच चुके हैं। यह कहानी बिहार की राजनीति में अपराध और सत्ता के गठजोड़ की गहराई को उजागर करती है।