Chhath Puja 2024: 35 वर्षीय जमीला खातून और 60 वर्षीय दरउदा खातून भी छठ पूजा करती हैं, जिससे उनकी आस्था और बढ़ गई है. ये महिलाएं बताती हैं कि उन्होंने समाज में आने वाली कई रुकावटों के बावजूद इस व्रत को निभाया है और भगवान भास्कर को अर्घ्य दिया है. इस महापर्व में हिंदू समुदाय के लोग भी उनका सहयोग कर रहे हैं.
Chhath Puja 2024: छठ पूजा 2024 के मौके पर मोतिहारी के लक्ष्मीपुर गांव की तीन मुस्लिम महिलाओं ने धर्म की दीवारों को तोड़ते हुए छठ व्रत रखा है. ये महिलाएं कहती हैं कि धर्म के आधार पर लोगों में बंटवारा नहीं होना चाहिए, क्योंकि सबका मालिक एक है. हसीना खातून जो 50 साल की हैं उन्होंने बताया कि उनके बेटे की शादी को दस साल हो गए थे, लेकिन उन्हें कोई संतान नहीं हो रही थी. आस-पास के लोगों की सलाह पर उन्होंने पौत्र के लिए छठ पूजा करने का संकल्प लिया, जो छठी माता की कृपा से पूरा हुआ. इसके बाद से वह लगातार छठ व्रत कर रही हैं.
जानकारी के लिए बता दें कि 35 वर्षीय जमीला खातून और 60 वर्षीय दरउदा खातून भी छठ पूजा करती हैं, जिससे उनकी आस्था और भी बढ़ गई है. ये महिलाएं बताती हैं कि उन्होंने समाज में विभिन्न रुकावटों के बावजूद इस व्रत को निभाया है और भगवान भास्कर को अर्घ्य दिया है. इस महापर्व में उनका सहयोग हिंदू समुदाय के लोग भी कर रहे हैं. छठ पूजा के लिए इन मुस्लिम महिलाओं ने हिंदू समाज के घरों की छतों पर गेहूं और अन्य सामग्री सुखाई है, ताकि ये सभी चीजें पवित्र हो सकें. वे बताती हैं कि वे सभी विधि-विधान से महापर्व का पालन कर रही हैं, जिसमें नहाय-खाय से लेकर खरना और अर्ध्य देना शामिल है. उनके घरों में छठ के गीत भी गूंज रहे हैं, जिससे पूरे वातावरण में खुशियों का माहौल बना हुआ है.
साथ ही इस प्रकार मोतिहारी की इन महिलाओं की छठ व्रत करने की कहानी धार्मिक एकता और सहयोग का प्रतीक है. यह दर्शाता है कि आस्था में कोई बाधा नहीं होनी चाहिए और सभी को मिल-जुलकर त्योहार मनाना चाहिए. इस महापर्व ने मुस्लिम और हिंदू समुदायों के बीच एकता को बढ़ावा दिया है, जो धर्म की सीमाओं को पार करते हुए एक दूसरे के साथ खड़े हो रहे हैं.