Devuthani Ekadashi 2024: भगवान विष्णु चार महीने तक विश्राम करते हैं और देवउठनी एकादशी के दिन उनका शयन पूरा होता है, इसलिए उन्हें इस दिन जगाना होता है. जिस तरह हम सोते हुए बच्चे को प्यार से उठाते हैं, उसी तरह भगवान विष्णु को भी आदरपूर्वक जाग्रत करें. उनके नामों का स्मरण करें और अपनी मनोकामना के लिए उनसे निवेदन करें.
Dev Uthani Ekadashi 2024: देवउठनी एकादशी का महत्व विशेष है, खासकर जब घर में बेटी न हो. इस दिन कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की एकादशी पर भगवान विष्णु जो चार महीनों से विश्राम कर रहे थे, अपनी निद्रा से जागते हैं. आचार्य मदन मोहन के अनुसार इस दिन भगवान को जगाने के बाद उनकी पूजा से भगवान विष्णु प्रसन्न होते हैं और भक्तों की मनोकामनाएं पूरी करते हैं.
आचार्य मदन मोहन के अनुसार इस दिन घर में बेटी न होने पर तुलसी और शालिग्राम का विवाह कराने का विशेष महत्व है. मान्यता है कि ऐसा करने से व्यक्ति को नरक का भोग नहीं करना पड़ता और भगवान विष्णु से सीधा संबंध जुड़ जाता है. तुलसी-शालिग्राम विवाह का आयोजन उसी प्रकार से करना होता है, जैसे बेटी का विवाह किया जाता है और इसके लिए विवाह के सभी जरूरी सामग्री का प्रबंध किया जाता है. साथ ही देवउठनी एकादशी पर भगवान विष्णु की पूजा का विशेष महत्व है. इस दिन सुबह भगवान विष्णु का पंचामृत से अभिषेक करें, उन्हें नए वस्त्र पहनाएं और माखन-मिश्री का भोग लगाएं. ध्यान रहे कि बाजार की मिठाई की बजाय घर में पूरी-खीर बनाकर भोग लगाएं. इस दिन विशेष रंगोली बनाकर पूजा स्थल को सजाएं और पीपल के पेड़ पर जल चढ़ाएं.
आचार्य के अनुसार तुलसी-शालिग्राम विवाह में तुलसी माता को सुहाग सामग्री जैसे लाल चूड़ी और लाल चुनरी अर्पित करें. ऐसा करने से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं. इस दिन लक्ष्मी-नारायण की पूजा करें और भगवान को सुंदर सिंहासन अर्पित करें. इसके अलावा देवउठनी एकादशी पर घर में 11 घी के दीपक जलाएं, भगवान के भजन और दान करें. मान्यता है कि इस दिन तुलसी का पौधा लगाने से पुण्य मिलता है. व्रत का पारण बुधवार 13 नवंबर को सुबह 6:35 बजे से होगा और यह दिन शुभ कार्यों की शुरुआत के लिए भी अत्यंत उत्तम माना जाता है.